एक दो तीन - Ek Do Teen (Alka Yagnik, Amit Kumar, Tezaab)
Wednesday, December 6, 2017
Movie/Album: तेज़ाब (1988)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: अल्का याग्निक, अमित कुमार
अलका याग्निक
एक दो तीन चार पाँच छः सात आठ नौ दस ग्यारह बारह तेरह
तेरा करूँ दिन गिन-गिन के इंतज़ार
आजा पिया आई बहार
एक दो तीन...
चौदह को तेरा संदेसा आया
पंद्रह को आऊँगा ये कहलाया
चौदह को आया न पंद्रह को तू
तड़पा के मुझको तूने क्या पाया
सोलह को भी, सोलह किये थे सिंगार
आजा पिया आई...
सत्रह को समझी संग छूट गया
अठारह को दिल टूट गया
रो-रो गुज़ारा मैंने सारा उन्नीस
बीस को दिल के टुकड़े हुए बीस
फिर भी नहीं दिल से गया तेरा प्यार
आजा पिया आई...
इक्कीस बीती, बाईस गई
तेईस गुज़री, चौबीस गई
पच्चीस छब्बीस ने मारा मुझे
बिरहा की चक्की में मैं पिस गई
दिन बस महीने के हैं और चार
आजा पिया आई...
दिन बने हफ़्ते, रे हफ़्ते महीने
महीने बन गये साल
आके ज़रा तू देख तो ले
क्या हुआ है मेरा हाल
दीवानी दर-दर मैं फिरती हूँ
न जीती हूँ, ना मैं मरती हूँ
तन्हाई की रातें सहती हूँ
आजा-आजा-आजा-आजा-आजा
आजा के दिन गिनती रहती हूँ
एक दो तीन...
अमित कुमार
एक दो तीन चार पाँच छः सात आठ नौ दस ग्यारह बारह तेरह
तेरा करूँ दिन गिन-गिन के इंतज़ार
आजा सनम आई बहार
एक दो तीन...
चौदह को जब मैंने कहलाया था
पंद्रह को आऊँगा, मैं आया था
पंद्रह को परदे से निकली न तू
तुझको ना पा के मैं घबराया था
सोलह को भी सुबह से था बेक़रार
आजा सनम आई...
सत्रह को सोया नहीं रात भर
अठारह को भी तू न आई नज़र
उन्नीस को मैं दीवाना हुआ
बीस को घर से रवाना हुआ
गलियों में गूंजे दीवाने की पुकार
आजा सनम आई...
इक्कीस को आई, ना बाईस को तू
जब न मिली तेईस-चौबीस को तू
पच्चीस को समझाया सबने मुझे
मत जान दे देना छब्बीस को
दुनिया में बस दिन हैं मेरे और चार
आजा सनम आई...
दिन लगे हफ़्ते, रे हफ़्ते महीने
महीने लगते साल
आके ज़रा तू देख तो ले
क्या हुआ है मेरा हाल
दीवाना दर-दर मैं फिरता हूँ
ना जीता हूँ, ना मैं मरता हूँ
तन्हाई की रात सहता हूँ
आजा-आजा-आजा-आजा-आजा
आजा के दिन गिनता रहता हूँ
एक दो तीन...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: अल्का याग्निक, अमित कुमार
अलका याग्निक
एक दो तीन चार पाँच छः सात आठ नौ दस ग्यारह बारह तेरह
तेरा करूँ दिन गिन-गिन के इंतज़ार
आजा पिया आई बहार
एक दो तीन...
चौदह को तेरा संदेसा आया
पंद्रह को आऊँगा ये कहलाया
चौदह को आया न पंद्रह को तू
तड़पा के मुझको तूने क्या पाया
सोलह को भी, सोलह किये थे सिंगार
आजा पिया आई...
सत्रह को समझी संग छूट गया
अठारह को दिल टूट गया
रो-रो गुज़ारा मैंने सारा उन्नीस
बीस को दिल के टुकड़े हुए बीस
फिर भी नहीं दिल से गया तेरा प्यार
आजा पिया आई...
इक्कीस बीती, बाईस गई
तेईस गुज़री, चौबीस गई
पच्चीस छब्बीस ने मारा मुझे
बिरहा की चक्की में मैं पिस गई
दिन बस महीने के हैं और चार
आजा पिया आई...
दिन बने हफ़्ते, रे हफ़्ते महीने
महीने बन गये साल
आके ज़रा तू देख तो ले
क्या हुआ है मेरा हाल
दीवानी दर-दर मैं फिरती हूँ
न जीती हूँ, ना मैं मरती हूँ
तन्हाई की रातें सहती हूँ
आजा-आजा-आजा-आजा-आजा
आजा के दिन गिनती रहती हूँ
एक दो तीन...
अमित कुमार
एक दो तीन चार पाँच छः सात आठ नौ दस ग्यारह बारह तेरह
तेरा करूँ दिन गिन-गिन के इंतज़ार
आजा सनम आई बहार
एक दो तीन...
चौदह को जब मैंने कहलाया था
पंद्रह को आऊँगा, मैं आया था
पंद्रह को परदे से निकली न तू
तुझको ना पा के मैं घबराया था
सोलह को भी सुबह से था बेक़रार
आजा सनम आई...
सत्रह को सोया नहीं रात भर
अठारह को भी तू न आई नज़र
उन्नीस को मैं दीवाना हुआ
बीस को घर से रवाना हुआ
गलियों में गूंजे दीवाने की पुकार
आजा सनम आई...
इक्कीस को आई, ना बाईस को तू
जब न मिली तेईस-चौबीस को तू
पच्चीस को समझाया सबने मुझे
मत जान दे देना छब्बीस को
दुनिया में बस दिन हैं मेरे और चार
आजा सनम आई...
दिन लगे हफ़्ते, रे हफ़्ते महीने
महीने लगते साल
आके ज़रा तू देख तो ले
क्या हुआ है मेरा हाल
दीवाना दर-दर मैं फिरता हूँ
ना जीता हूँ, ना मैं मरता हूँ
तन्हाई की रात सहता हूँ
आजा-आजा-आजा-आजा-आजा
आजा के दिन गिनता रहता हूँ
एक दो तीन...