राज़ की बात कह दूँ - Raaz Ki Baat Keh Doon (Asha Bhosle, Md.Rafi, Dharma)
Friday, March 2, 2018
Movie/Album: धर्मा (1973)
Music By: सोनिक-ओमी
Lyrics By: वर्मा मलिक
Performed By: आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी
ये ख़ुशी, ये महफ़िल और जो नया अंदाज़ है
समझनेवालों, समझ लो, इस में भी एक राज़ है
राज़ की बात कह दूँ तो
जाने महफ़िल में फिर क्या हो
राज़ खुलने का तुम पहले
ज़रा अंजाम सोच लो
इशारों को अगर समझो
राज़ को राज़ रहने दो
ज़बाँ पे बात जो आई, कभी रूकती नहीं है
उठ गई आँख जो एक बार, वो झुकती नहीं है
उम्मीदों का कभी ना, सामने मैं ख़ून होने दूँ
हक़ीक़त को छुपाऊँगी, तो वो छुपती नहीं है
जो बरसों से छुपी दिल में, उसे होंठों पे आने दो
राज़ की बात कह दूँ...
उठे आँखे जो महफ़िल में, वो आँखे फोड़ के रख दूँ
बढ़े जो हाथ, तो उस हाथ को, मैं (मेरी जाँ) तोड़ के रख दूँ
जो नावाक़िफ़ हैं मुझ से, आज उनसे जा के ये कह दो
ज़ुबाँ पे राज़ आया तो, ज़ुबाँ को मोड़ के रख दूँ
ख़ुशी से कोई जीता है, ख़ुशी से उसको जीने दो
इशारों को अगर समझो...
उसी को छीनकर तेरी नज़र से दूर कर दूँ
तुझे मैं आँहें भरने के लिए (हाँ मैं) मजबूर कर दूँ
यहाँ बदनाम कर दूँ, वहाँ मशहूर कर दूँ
ज़बाँ खुल जाए गर मेरी, तो चकनाचूर कर दूँ
ज़रा अफ़साने का पहले, पता लगने दो दुनिया को
राज़ की बात कह दूँ...
ये सूरज, चाँद और तारे, चले मेरे इशारों पर
हुकूमत है मेरी दरिया, समंदर और किनारों पर
मैं अपने हाथों से, इस दुनिया की तक़दीर लिखता हूँ
मगर फिर तरस आता है, तेरे जैसे बिचारों पर
नहीं पैदा हुआ कोई, जो रोके मेरी राहों को
इशारों को अगर समझो...
तुम्हारी ज़ात क्या है?
तेरी औकात क्या है?
तुम्हारे क्या इरादे?
ये पहले तू बता दे
हुस्न की मार बुरी है
इश्क़ की ख़ार बुरी है
नज़र का तीर जो छोड़ूँ?
तीर को ऐसे तोड़ूँ
अगर घूंघट उठा दूँ?
तो मैं आँखें लड़ा दूँ
कमर के देख झटके
इधर भी देख पलट के
तू मुझ को ना पहचाने
मुझे तू भी न जाने
बदन मेरा है कुंदन
मेरा दिल भी है चन्दन
मैं चन्दन की खुशबू हूँ
मैं चन्दन, मैं चन्दन, मैं चन्दन हू-ब-हू हूँ
इशारों को अगर समझो...
Music By: सोनिक-ओमी
Lyrics By: वर्मा मलिक
Performed By: आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी
ये ख़ुशी, ये महफ़िल और जो नया अंदाज़ है
समझनेवालों, समझ लो, इस में भी एक राज़ है
राज़ की बात कह दूँ तो
जाने महफ़िल में फिर क्या हो
राज़ खुलने का तुम पहले
ज़रा अंजाम सोच लो
इशारों को अगर समझो
राज़ को राज़ रहने दो
ज़बाँ पे बात जो आई, कभी रूकती नहीं है
उठ गई आँख जो एक बार, वो झुकती नहीं है
उम्मीदों का कभी ना, सामने मैं ख़ून होने दूँ
हक़ीक़त को छुपाऊँगी, तो वो छुपती नहीं है
जो बरसों से छुपी दिल में, उसे होंठों पे आने दो
राज़ की बात कह दूँ...
उठे आँखे जो महफ़िल में, वो आँखे फोड़ के रख दूँ
बढ़े जो हाथ, तो उस हाथ को, मैं (मेरी जाँ) तोड़ के रख दूँ
जो नावाक़िफ़ हैं मुझ से, आज उनसे जा के ये कह दो
ज़ुबाँ पे राज़ आया तो, ज़ुबाँ को मोड़ के रख दूँ
ख़ुशी से कोई जीता है, ख़ुशी से उसको जीने दो
इशारों को अगर समझो...
उसी को छीनकर तेरी नज़र से दूर कर दूँ
तुझे मैं आँहें भरने के लिए (हाँ मैं) मजबूर कर दूँ
यहाँ बदनाम कर दूँ, वहाँ मशहूर कर दूँ
ज़बाँ खुल जाए गर मेरी, तो चकनाचूर कर दूँ
ज़रा अफ़साने का पहले, पता लगने दो दुनिया को
राज़ की बात कह दूँ...
ये सूरज, चाँद और तारे, चले मेरे इशारों पर
हुकूमत है मेरी दरिया, समंदर और किनारों पर
मैं अपने हाथों से, इस दुनिया की तक़दीर लिखता हूँ
मगर फिर तरस आता है, तेरे जैसे बिचारों पर
नहीं पैदा हुआ कोई, जो रोके मेरी राहों को
इशारों को अगर समझो...
तुम्हारी ज़ात क्या है?
तेरी औकात क्या है?
तुम्हारे क्या इरादे?
ये पहले तू बता दे
हुस्न की मार बुरी है
इश्क़ की ख़ार बुरी है
नज़र का तीर जो छोड़ूँ?
तीर को ऐसे तोड़ूँ
अगर घूंघट उठा दूँ?
तो मैं आँखें लड़ा दूँ
कमर के देख झटके
इधर भी देख पलट के
तू मुझ को ना पहचाने
मुझे तू भी न जाने
बदन मेरा है कुंदन
मेरा दिल भी है चन्दन
मैं चन्दन की खुशबू हूँ
मैं चन्दन, मैं चन्दन, मैं चन्दन हू-ब-हू हूँ
इशारों को अगर समझो...